लेप्टोस्पाइरोसिस (Leptospirosis)

चर्चा में क्यों?

  1. मानसून काल की शुरुआत के साथ ही लेप्टोस्पायरोसिस का प्रकोप चिंता का विषय बन गया है।

लेप्टोस्पायरोसिस क्या है ?

  1. लेप्टोस्पायरोसिस एक संक्रामक ज़ूनोटिक रोग है, जो “लेप्टोस्पाइरा इंटररोगन्स या लेप्टोस्पाइरा नामक जीवाणु” के कारण होता है।
  2. यह हर साल लगभग 1.03 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, जिससे लगभग 60,000 लोग मारे जाते हैं।

किन लोगों को ख़तरा है?

  1. मुख्य जोखिम:  व्यावसायिक समूहों में कृषि श्रमिक, पालतू जानवर की दुकान के कर्मचारी, पशु चिकित्सक, सीवर कर्मचारी, बूचड़खाने के श्रमिक, मांस संचालक, सैन्य कर्मी, प्राकृतिक आपदाओं से बचे लोग शामिल हैं।
  2. यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पर कट या खरोंच हो तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की संभावना अधिक होती है।
  3. दूषित झीलों और नदियों में मनोरंजक गतिविधियों से भी लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

रोग के कारण

  1. वाहक: सूअर, मवेशी, भैंस, बकरी, कुत्ते, घोड़े और भेड़  जैसे जंगली या घरेलू जानवर
  2. मानसून की शुरुआत: यह रोग की घटना और संचरण को बढ़ाने में मददगार है ।
  3. आर्द्र वातावरण: यह रोगजनक लेप्टोस्पाइरा को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करता है, जिससे समुदाय में बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
  4. मौसमी घटनाएँ: बाढ़ और तूफ़ान, जब लोग दूषित पानी के संपर्क में आते हैं।
  5. खराब अपशिष्ट प्रबंधन: शहरी क्षेत्रों में,आवारा जानवरों का  उच्च घनत्व, दोषपूर्ण जल निकासी व्यवस्था और अस्वास्थ्यकर स्वच्छता सुविधाएं इस बीमारी के प्रमुख कारक हैं।
  6. ग्रामीण क्षेत्रों में, ये प्रदूषित धान के खेत, गंदे पशुधन आश्रय स्थल, और खराब जल-गुणवत्ता के कारण फैलते हैं।
  7. ट्रांसमिशन: रोग संचरण का चक्र आमतौर पर संक्रमित जानवरों के मूत्र में लेप्टोस्पाइरा के स्राव से शुरू होता है।
  8. बैक्टीरिया त्वचा के कटने और घर्षण के माध्यम से, या संक्रमित जानवरों के मूत्र से दूषित पानी के साथ आंख, नाक और मुंह की श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है।
  9. हालांकि, मानव-से-मानव संचरण बहुत कम होता है।

                                               

निवारण:

  1. जागरूकता में वृद्धि: स्वास्थ्य साक्षरता, सूचित स्वास्थ्य देखभाल नीति और सामुदायिक स्वास्थ्य सशक्तिकरण में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  2. वन स्वास्थ्य दृष्टिकोण: यह एक अंतःविषयक दृष्टिकोण है जो मनुष्यों, जानवरों, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंधों को दर्शाता है।
  3. पशुओं को संक्रमित होने से बचाने के लिए स्वच्छतापूर्ण पशु-पालन की नीति।
  4. रुके हुए पानी में चलने से बचें, घावों पर पट्टी बांधें, जानवरों के अपशिष्ट को सुरक्षित जगह पर निपटारा करें और पानी में काम करने के बाद किसी एंटीसेप्टिक तरल से अपने हाथ और पैर धोएं।

भारत में स्थिति

  1. भारत में लेप्टोस्पायरोसिस और इसके अनुसंधान का इतिहास 19वीं सदी के आखिरी दशकों से मिलता है।
  2. देश में हर साल हजारों लोगों के प्रभावित होने से यह भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है।

सरकार की पहल 

  1. भारत सरकार ने शुरुआत में 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत एक "नई पहल" के रूप में लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम और नियंत्रण पर एक पायलट परियोजना शुरू की थी।
  2. पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद, भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थानीय  राज्यों(गुजरात, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) में लेप्टोस्पायरोसिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कार्यक्रम (पीपीसीएल) शुरू किया गया।
  3. कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया ।
  4. कार्यक्रम का उद्देश्य मनुष्यों में लेप्टोस्पारियोसिस के कारण रुग्णता और मृत्यु दर को रोकना है।