राफेल लड़ाकू विमान
चर्चा में क्यों ?
- रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को फ्रांस से भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल लड़ाकू विमान और बाई (भारतीय) श्रेणी के तहत तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के अधिग्रहण को स्वीकृति प्रदान की है।
- बीते दिनों 13 जुलाई को रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक हुई, जिसमे यह निर्णय लिया गया |
अन्य मुख्य बातें
- इसका उद्देश्य भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ावा देना है। साथ ही महत्वपूर्ण विनिर्माण प्रौद्योगिकियों में 'आत्मनिर्भरता' को बढ़ाना और स्वदेशी विनिर्माण के माध्यम से रक्षा क्षेत्र को मजबूत रखना है।
- गौरतलब है कि समझौते में राफेल समुद्री विमानों के अलावा भारतीय नौसेना के लिए संबंधित सहायक उपकरण, हथियार, पुर्जों, चालक दल के प्रशिक्षण और रसद समर्थन खरीद के लिए भी स्वीकृति प्रदान की गई।
राफेल विमान
- राफेल दो इंजन वाला मध्यम बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है।
- इसका निर्माण फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा किया गया है।
- डसॉल्ट का दावा है कि राफेल एक ही समय में कई कार्य करने की क्षमता है।
- राफेल हवा से जमीन के साथ-साथ हवा से हवा में भी हमला कर सकता है। यह उसी उड़ान के दौरान अवरोधन भी कर सकता है।
- विमान ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जेनरेशन सिस्टम (ओबीओजीएस) से सुसज्जित है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद:
- DAC रक्षा मंत्रालय में तीनों सेवाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) तथा भारतीय तटरक्षक हेतु नई नीतियों एवं पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिये, सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है।
- रक्षा मंत्री, परिषद का अध्यक्ष होता है।
- कारगिल युद्ध (1999) के बाद वर्ष 2001 में 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार' पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद इसका गठन किया गया था।