महिला आरक्षण बिल

खबरों में क्यों -

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा प्रदान करने वाला महिला आरक्षण विधेयक आज संसद के चल रहे विशेष सत्र में लोकसभा में पेश किया गया। 19 सितंबर को "ऐतिहासिक दिन" बताते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से सर्वसम्मति से विधेयक - 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' - पारित करने का आग्रह किया, जो लगभग तीन दशकों से लटका हुआ है।


महिला आरक्षण विधेयक - मुख्य बातें

संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023, संविधान में तीन नए अनुच्छेद और एक नया खंड पेश करने का प्रयास करता है।

  • 239AA में नया खंड: दिल्ली विधान सभा में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से 1/3 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या का 1/3 महिलाओं के लिए आरक्षित होगी।
  • नया अनुच्छेद - 330: लोकसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण - एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों में से 1/3 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, लोकसभा में सीधे चुनाव द्वारा भरी जाने वाली कुल सीटों में से 1/3 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
  • नया अनुच्छेद - 332ए: प्रत्येक राज्य विधान सभा में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें, एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों में से 1/3 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, एलए में सीधे चुनाव द्वारा भरी जाने वाली कुल सीटों में से 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
  • नया अनुच्छेद - 334ए: पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन किए जाने के बाद आरक्षण लागू होगा। परिसीमन की प्रत्येक बाद की प्रक्रिया के बाद महिलाओं के लिए सीटों का चक्रण प्रभावी होगा ।


कब तक रहेगा आरक्षण का प्रभाव ?

  • इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा, दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाएगी।
  • महिलाओं के लिए लाए गए आरक्षण 15 वर्षों तक प्रभाव में रहेगा।
  • इसके साथ ही इसमें प्रावधान है कि सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के तहत की जाएगी।


27 वर्षों से लटका है विधेयक-

  • महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है।
  • इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था।
  • इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।