भारत के सतत विकास लक्ष्य

वैश्विक स्तर पर एसडीजी की सफलता निर्धारित करने में भारत महत्वपूर्ण है। 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के शिखर सम्मेलन में 193 सदस्य देशों ने अपनाया था। यह एजेंडा 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी हुआ है।

इसे अगले 15 सालों में साल 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार के प्रमुख थिंक टैंक नीति आयोग को एसडीजी के समन्वय, एसडीजी और उनके लक्ष्यों से संबंधित योजनाओं की मैपिंग और प्रत्येक लक्ष्य के लिए अग्रणी और सहायक मंत्रालयों की पहचान करने का काम सौंपा गया है।

राज्य सरकारें एसडीजी पर भारत की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे 'लोगों को पहले रखने' ( put the people first) और यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम स्थिति में हैं कि 'कोई भी पीछे न छूटे।'

भारत में संयुक्त राष्ट्र की देश टीम नीति आयोग, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को लक्ष्यों की परस्पर संबद्धता को संबोधित करने के उनके प्रयासों में समर्थन देती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पीछे न रह जाए और एसडीजी को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण की वकालत की जा सके।



ये हैं सतत विकास के 17 लक्ष्य

  • गरीबी की पूर्णत - समाप्ति-  दुनिया के हर देश में सभी लोगों की अत्यधिक गरीबी को समाप्त करना. अभी उन लोगों अत्यधिक गरीब माना जाता है जो कि प्रतिदिन $ 1.25 से कम में जिंदगी गुजारते हैं।
  • भुखमरी की समाप्ति  - भुखमरी की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
  • अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर -  सभी को स्वस्थ जीवन देना और सभी के जीवनस्तर में सुधार लाना।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा - समावेशी और न्यायसंगत, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना।
  • लैंगिक समानता - लैंगिक समानता प्राप्त करना और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए प्रयास करना।
  • साफ पानी और स्वच्छता - सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और उसका टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना।
  • सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा - सभी के लिए सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करना।
  • अच्छा काम और आर्थिक विकास -  निरंतर, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ साथ, उत्पादक रोजगार और सभी के लिए सभ्य कार्य को बढ़ावा देना।
  • उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा का   विकास - मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना, समावेशी और टिकाऊ औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करना और नवाचार को बढ़ावा देना।
  • असमानता में कमी - देशों के भीतर और देशों के बीच असमानता कम करना।
  • टिकाऊ शहरी और सामुदायिक विकास - शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाना।
  • जिम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पादन -  उत्पादन और उपभोग पैटर्न को टिकाऊ बनाना।
  • जलवायु परिवर्तन - जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित  करना।
  • पानी में जीवन -  टिकाऊ विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उनका ठीक से उपयोग सुनिश्चित करना।
  • भूमि पर जीवन -  सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
  • शांति और न्याय के लिए संस्थान - टिकाऊ विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा देना सौर सभी के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना।
  • लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदारी - सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करना और कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।


हर साल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक वार्षिक SDG प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के सहयोग से विकसित की जाती है, और ग्लोबल इंडिकेटर फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों द्वारा उत्पादित डेटा और क्षेत्रीय स्तर पर एकत्रित जानकारी पर आधारित होती है।

इसके अतिरिक्त, वैश्विक सतत विकास रिपोर्ट हर चार साल में एक बार महासभा में एसडीजी समीक्षा विचार-विमर्श की सूचना देने के लिए तैयार की जाती है। यह महासचिव द्वारा नियुक्त वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह द्वारा लिखा जाता है।