पीएम प्रणाम योजना क्या है
पीएम प्रणाम योजना क्या है?
- पीएम प्रणाम योजना (PM PRANAM योजना) केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी स्कीम है। इसका उद्देश्य सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम करने के साथ खेती में रासायनिक उर्वरकों की जगह वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना है। इसमें सरकार जैविक खेती से पैदा होने उत्पादों की मार्केटिंग पर भी जोर देगी जिससे किसानों को इसका सीधा फायदा मिल सके।
क्यों शुरू की जा रही है यह योजना?
- पिछले 5 वर्षों में देश में उर्वरक की बढ़ती मांग के कारण सरकार का सब्सिडी पर कुल खर्च भी बढ़ गया है।
- 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी का अंतिम आंकड़ा 1.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
- चार उर्वरकों - यूरिया, डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश), एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) की कुल आवश्यकता - 2017-2018 और 2021-2022 के बीच 528.86 लाख मीट्रिक से 21% बढ़ गई है। टन (एलएमटी) से 640.27 एलएमटी।
- रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने से सरकारी खजाने पर बोझ कम होने की संभावना है।
- प्रस्तावित योजना पिछले कुछ वर्षों में उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने पर सरकार के फोकस के अनुरूप भी है।
क्या होते हैं ऑर्गनिक फर्टिलाइजर या जैविक उर्वरक ?
- जैविक उर्वरक वे होते हैं जो प्राकृतिक रूप से उत्पादित होते हैं और जिनमें बिना किसी रसायन के कार्बन तत्व होते हैं।
- उनके प्राइमरी रॉ मेटेरियल, पशु अपशिष्ट जैसे गोबर आदि, मीट वेस्ट, खाद, स्लरी और पौधे-आधारित उर्वरक और पौधे की खाद होते हैं।
- समग्र उर्वरक खपत के अनुपात में जैविक उर्वरकों की पहुंच 2018-19 के लिए केवल 0.29% और 2019-20 के लिए 0.34% थी। 2021-22 के दौरान, भारत में जैविक खेती के तहत 4.73 मिलियन हेक्टेयर भूमि के साथ जैविक कृषि भूमि में बढ़ोतरी हुई है।
उद्देश्य
- प्रस्तावित योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करना है।
- वित्त वर्ष 2022-23 में रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी 2.25 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंचने के अनुमान है। ये 2021-22 में खर्च हुई राशि से 39 प्रतिशत अधिक है।
- इस योजना के लिए कोई अलग बजट नहीं होगा और इसे उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत "मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत" से वित्त पोषित किया जाएगा।
- सरकार की कोशिश इस योजना के जरिए नैनो यूरिया और सल्फर कोटेड यूरिया(Golden Urea) के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।
- साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से जैविक खेती से मिलने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग पर भी सरकार की ओर से जोर दिया जाएगा।
- मिट्टी की उर्वरता को वापस लाना तथा जागरूकता बढ़ाना।
प्रणाम के तहत सब्सिडी
- इसके अलावा, 50% सब्सिडी बचत उस राज्य को अनुदान के रूप में दी जाएगी जो पैसा बचाता है।
- योजना के तहत प्रदान किए गए अनुदान का 70% वैकल्पिक उर्वरकों के लिए तकनीकी अपनाने से संबंधित संपत्ति निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।यह गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयां बनाएगा।
- शेष 30% अनुदान राशि का उपयोग किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है जो उर्वरक उपयोग में कमी और जागरूकता पैदा करने में शामिल हैं।
- सरकार किसी राज्य में एक साल में यूरिया की बढ़ोतरी या कमी की तुलना पिछले तीन साल के दौरान यूरिया की औसत खपत से करेगी।
भारत को कितने उर्वरक की आवश्यकता है?
- ख़रीफ़ सीज़न (जून-अक्टूबर) भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें वर्ष के लगभग आधे खाद्यान्न, एक तिहाई दालों और लगभग दो-तिहाई तिलहन का उत्पादन होता है।इस मौसम में बड़ी मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है।
- कृषि और किसान कल्याण विभाग हर साल फसल मौसम की शुरुआत से पहले उर्वरकों की आवश्यकता का आकलन करता है, और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रसायन और उर्वरक मंत्रालय को सूचित करता है।
- आवश्यक उर्वरक की मात्रा हर महीने मांग के अनुसार बदलती रहती है, जो फसल की बुआई के समय पर आधारित होती है, जो क्षेत्र-दर-क्षेत्र अलग-अलग होती है।
- उदाहरण के लिए, यूरिया की मांग जून-अगस्त की अवधि के दौरान चरम पर होती है, लेकिन मार्च और अप्रैल में अपेक्षाकृत कम होती है, और सरकार इन दो महीनों का उपयोग खरीफ सीजन के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक की तैयारी के लिए करती है।