चंद्रयान- 3(chandrayaan-3)

चंद्रयान-3 क्या है?

  1. चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करता है।
  2. इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है।
  3. इसे LVM3 द्वारा SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।
  4. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा।
  5. प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) पेलोड का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है।

संदर्भ:

  1. चंद्रयान- 3 अंतरिक्ष यान को हाल ही में GSLV मार्क III प्रक्षेपण यान के साथ एकीकृत किया गया था ।
  2. लॉन्च की योजना 12-19 जुलाई 2023 के बीच बनाई गई है।

Prelims facts:

चंद्रयान 3 के बारे में

  1. चंद्रयान- 3 (chandrayaan-3), चंद्रयान- 2 मिशन का उत्तराधिकारी है।
  2. लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3)।
  3. लॉन्च किया जायेगा : सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी), श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश।
  4. इसमें एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है।
  5. लैंडर : एक अंतरिक्ष यान जो किसी खगोलीय पिंड की सतह की ओर उतरता है और रुक जाता है।
  6. प्रोपल्शन मॉड्यूल : एक बॉक्स जैसी संरचना है, जिसके एक तरफ एक बड़ा सौर पैनल और शीर्ष पर एक बड़ा सिलेंडर लगा होता है।
  7. रोवर: एक छोटा वाहन जो उबड़-खाबड़ जमीन पर चल सकता है, अक्सर अन्य ग्रहों की सतह पर उपयोग किया जाता है, कभी-कभी पृथ्वी से नियंत्रित किया जाता है।
  8. लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं।
  9. इसमें चंद्रयान 2 जैसे कोई ऑर्बिटर नहीं होंगे।

चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य:-

  1. चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का करना।
  2. रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना।
  3. यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।

लैंडर पेलोड(Lander Payloads) :-

  1. चंद्रा की सतह पर थर्मोफिजिकल प्रयोग (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment -ChaSTE): तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए।
  2. चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (Instrument for lunar seismic activity-ILSA)-लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए ।
  3. लैंगमुइर जांच (Langmuir Probe-LP): प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए।  
  4. Passive Laser Retro reflector Array-नासा के एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययन के लिए समायोजित किया गया है।
  5. मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ मौजूद हैं जैसे-
  1. अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
  2. वेलोसीमीटर: लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
  3. जड़त्व माप: लेजर जाइरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
  4. प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
  5. नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण (एनजीसी): संचालित डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व
  6. खतरे का पता लगाना और बचाव: लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिदम
  7. लैंडिंग लेग तंत्र.

रोवर पेलोड(Rover Payloads):-

  1. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर(Alpha particle X-Ray Spectrometer-APXS) और लेसर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रास्काप(Laser induced breakdown Spectrometer-LIBS)-- लैंडिंग स्थल के पास मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए

 

प्रणोदन मॉड्यूल पेलोड(Propulsion Module Payload) :-

  1. स्पेक्ट्रो- पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (Spectro-Polarimetry of Habitable Planet Earth- SHAPE):
  2. परावर्तित प्रकाश में छोटे ग्रहों की भविष्य की खोज हमें विभिन्न प्रकार के एक्सो- ग्रहों की जांच करने की अनुमति देगी जो रहने योग्य या जीवन की उपस्थिति के लिए योग्य होंगे।

 

जीएसएलवी एमके III(GSLV-Mk III)

  1. LVM3 को दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200), एक तरल कोर चरण (L110) और एक उच्च थ्रस्ट क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (C25) के साथ तीन चरण वाले वाहन के रूप में कॉन्फ़िगर किया गया है।
  2. इसे लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) के नाम से भी जाना जाता है।
  3. यह भारत के परिचालन प्रक्षेपण वाहनों में सबसे भारी और सबसे छोटा है।
  4. वजन: 641 टन, जो पांच पूरी तरह से भरे हुए यात्री विमानों के वजन के बराबर है।
  5. क्षमता: जीएसएलवी 10,000 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं(lower earth orbits-LEOs) में ले जा सकता है।

 

 

Practice Questions

Q.1 निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1.बैलिस्टिक मिसाइलें अपनी पूरी उड़ान के दौरान सबसोनिक गति से जेट-प्रोपेल्ड होती हैं, जबकि क्रूज़ मिसाइलें उड़ान के शुरुआती चरण में ही रॉकेट से संचालित होते हैं।

2.अग्नि-V एक मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जबकि ब्रह्मोस एक ठोस ईंधन वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. इनमें से कोई नहीं

 

Q. 2 निम्नलिखित में से किस देश के पास अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है?

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. इजराइल
  4. जापान