ग्लोबल साउथ
चर्चा में क्यों ?
- वैश्विक समूह G20 की अध्यक्षता करते हुए भारत,ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज बन कर उभरा है। भारत ने कई मंचों और अवसरों पर ग्लोबल साउथ शब्द का जिक्र करते हुए वैश्विक दक्षिणी और वैश्विक उत्तर के विभाजन को प्रमुखता से प्रदर्शित किया है।
इतिहास और विकास
- "ग्लोबल साउथ" मोटे तौर पर विकासशील या अविकसित देशों को संदर्भित करता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। इन देशों को अक्सर "ग्लोबल नॉर्थ" के अमीर देशों जिसमें ज्यादातर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ओशिनिया के कुछ हिस्से शामिल हैं ,की तुलना में उच्च स्तर की गरीबी, आय असमानता और कम जीवन प्रत्याशा का सामना करना पड़ता है, ।
- यह एक व्यापक शब्द है जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विभिन्न स्तरों के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव वाले विभिन्न राज्य शामिल हैं।ग्लोबल साउथ के दृष्टिकोण को समझना मुख्यधारा के अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों के पश्चिमी-केंद्रित फोकस की चर्चा से शुरू होता है।
- समकालीन राजनीतिक अर्थों में ग्लोबल साउथ शब्द का पहला उपयोग 1969 में एक अमरीकी राजनीतिक विज्ञानी कार्ल ओल्स्बी द्वारा वियतनाम युद्ध पर कैथोलिक जर्नल कॉमनवील में लिखे अपने एक विशेष अंक में दिखता है।
- ओल्स्बी ने तर्क दिया कि सदियों से उत्तर का “वैश्विक दक्षिण देशों पर प्रभुत्व रहा है| उत्तरी देशों (जिनमें मुख्यतः पश्चिमी देश शामिल थे) ने ग्लोबल साउथ के देशों में एक असहनीय सामाजिक व्यवस्था के निर्माण के लिए अभिसरण किया।
- जहां 2004 में यह शब्द केवल दो दर्जन से भी कम प्रकाशनों में दिखाई दिया जाता था वहीं वर्ष 2013 तक आते – आते यह सैकड़ों तीसरी दुनिया या विकासशील दुनिया की परेशान वास्तविकताओं के लिए प्रयोग होने लगा।
- 1955 में बांडुंग सम्मेलन में तीसरी दुनिया के नाम से प्रसिद्ध देशों की एक प्रारंभिक बैठक में पूर्वी या पश्चिमी ब्लॉकों के साथ समान उद्देश्य से दोनों केंद्रों के साथ सम्मलित होने के विकल्प को बढ़ावा दिया गया था।
- इसके बाद, 1961 में पहला गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था जहां यह शब्द और भी मुखर हो कर सामने आया।
- हालाँकि समय के साथ- साथ ग्लोबल साउथ शब्द का विस्तार होता गया और इस शब्द ने दुनिया भर में ऐसे देशों की आवाज बनना शुरू किया जो अल्प विकसित और विकाशील अवस्था में थे।
भारत की G20 अध्यक्षता और ग्लोबल साउथ
- बाली में, अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध को बड़ी बाधाएं बताते हुए चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में जी20 के बढ़ते महत्व की तरफ सही इशारा किया था। पीएम मोदी के सचेत करने वाले शब्द आज की कठिन वास्तविकताओं और कई तरह के मतभेदों के मौजूद होने को छूते हैं। यूक्रेन के हालात को लेकर दुनिया पूरी तरह बंटी हुई है। इसकी वजह से विकासशील देशों को खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक की किल्लत के नतीजों का सामना करना पड़ रहा है। विकासशील देशों की मुख्य चिंता रोजमर्रा के मुद्दों से जुड़ी है, युद्ध की भू-राजनीति से नहीं।
- भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता ‘ग्लोबल साउथ’ के उद्देश्य को समर्थन देने के साथ-साथ नई महत्वाकांक्षा लेकर आई है। इसके साथ ही इसने ‘थर्ड वर्ल्ड’ की एकजुटता पर नए विचारों और उद्देश्यों को सामने ला दिया है।
- विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस साल न्यूयॉर्क में 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की यात्रा के बाद इस तात्कालिक मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा था “आज हम व्यापक रूप से ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में जाने जाते हैं।
युनाइटिंग ग्लोबल साउथ:
- इस आयोजन के माध्यम से भारत के प्रधान मंत्री ने विकासशील देशों की ओर से मंच तैयार किया है , जिनमें से कई उपनिवेश इतिहास से एकजुट हैं।
- आयोजन के दौरान वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने की पेशकश करते हुए भारत ने दक्षिण के देशों की ओर से दुनिया को एक नया एजेंडा दिया: 'जवाब दें, पहचानें, सम्मान करें और सुधार करें'।
ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ में अंतर
- ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ (वैश्विक दक्षिण और वैश्विक उत्तर) की अवधारणा का उपयोग सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विशेषताओं के साथ देशों के समूह का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
- ग्लोबल साउथ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाता है । यह “थर्ड वर्ल्ड” और “पेरिफेरी” सहित शब्दों के परिवार में से एक है, जो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर के क्षेत्रों को दर्शाता है। इनमें से कुछ कम आय वाले देश हैं और विभाजन के एक तरफ अक्सर राजनीतिक या सांस्कृतिक रूप से हाशिए पर रहे हैं।
- दूसरी तरफ ग्लोबल नॉर्थ के देशों को दुनिया के विकसित देशों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रकार, यह शब्द स्वाभाविक रूप से भौगोलिक दक्षिण को संदर्भित नहीं करता है|उदाहरण के लिए, अधिकांश वैश्विक दक्षिण भौगोलिक रूप से उत्तरी गोलार्ध के भीतर है।
- ग्लोबल नॉर्थ कुछ अपवादों के साथ ज्यादातर पश्चिमी दुनिया के साथ संबंध रखता है जबकि ग्लोबल साउथ बड़े पैमाने पर विकासशील देशों के साथ मेल खाता है जिन्हें पहले ” तीसरी दुनिया” या “पूर्वी दुनिया” कहा जाता था।
- भौगोलिक रूप से, ग्लोबल साउथ ज्यादातर ऐसे क्षेत्रों से बना है जो न तो पश्चिमी हैं और न ही पूर्वी, जैसे कि लैटिन देश और अधिकांश अफ्रीकी देश पश्चिम में स्तिथ हैं।
- इन दोनों समूहों को अक्सर उनके अलग-अलग स्तरों के धन,आर्थिक विकास, आय असमानता, लोकतंत्र और राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है। वहीं जिन राज्यों को आम तौर पर ग्लोबल नॉर्थ के हिस्से के रूप में देखा जाता है, वे बड़े,अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचे के साथ-साथ उन्नत प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और ऊर्जा उद्योगों के साथ अमीर और कम असमान होते हैं। हालांकि इन दोनों में कई अपवाद शामिल होते हैं।