उत्तर प्रदेश खेल नीति 2023
उत्तर प्रदेश खेल नीति 2023
प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने तथा खेल संस्कृति विकसित करने हेतु 10 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने राज्य की पहली खेल नीति- 2023 को मंजूरी प्रदान की।
इस खेल नीति की प्रमुख बिंदुए
1.“राज्य खेल प्राधिकरण” का गठन भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज पर किया जाएगा तथा निजी अकादमी और स्कूल कॉलेजों को खेलों से जोड़ा जाएगा। नई खेल नीति के खिलाड़ियों की शारीरिक दक्षता से लेकर उनकी ट्रेनिंग तक का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
2.स्किल पावर के अनुरूप खिलाड़ियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा, जिससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण दिया जा सके।
(A)प्रथम श्रेणी - जमीनी स्तर के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
(B) द्वितीय श्रेणी- डेवलपमेंट की होगी, जिसमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजकर उन्हें भविष्य के खिलाड़ी के रूप में विकसित किया जाएगा।
(C) तृतीय श्रेणी- एलिट क्लास के खिलाड़ी आएंगे। यह वे खिलाड़ी होंगे जो विभिन्न खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
3.इस नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेडियम ,ओपन जिम आदि का निर्माण किया जाएगा, साथ ही साथ प्रत्येक विद्यालय में 40 मिनट का समय खेल, शारीरिक शिक्षा और योग के लिए निर्धारित किया जाएगा।
अलग-अलग खेलों के लिए राज्य में पीपीपी मॉडल के तहत 14 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किए जाएंगे तथा 5 हाई परफारमेंस सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
4. इस नीति के तहत राज्य में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जिससे योग्य प्रबंधकों, प्रशासकों और संचालन कर्मियों का एक पुल तैयार होगा, साथ ही साथ खेलों से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के द्वारा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल के आयोजनों को बढ़ावा देने के लिए खेल विभाग विभिन्न खेल संघों के साथ मिलकर काम करेगा। इससे बड़ी संख्या में कर्मियों की भर्ती होगी तथा सेवा प्रदाताओं में वृद्धि होगी।
5. इस नीति के तहत खेल एसोसिएशन और खेल अकादमीयों को आर्थिक मदद की जाएगी।
- इसके तहत ₹10 करोड की लागत से एक राज्य खेल विकास कोष बनाया जाएगा ।जिससे राज्य के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को विशेष लाभ मिलेगा ,ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के उपकरण, विदेशों में ट्रेनिंग, साथ ही साथ विदेशी प्रशिक्षक, फिजियोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक आदि का लाभ प्राप्त कर सके।
- हर पंजीकृत खिलाड़ी को ₹5 लाख का बीमा कराया जाएगा।
- इस नीति के तहत एकलव्य क्रीड़ा कोष की स्थापना की गई है, जिससे ट्रेनिंग या प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोट के इलाज के लिए धन मुहैया कराया जाएगा।
महत्त्व
- प्रदेश में खेलों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना जिससे अधिक से अधिक नागरिकों को खेलों के प्रति आकर्षित किया जा सके और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा सके।
- संरचनात्मक ढांचे का विकास करना तथा खेल को वैज्ञानिक और प्रशिक्षण संबंधी मजबूती प्रदान करना,
- खेलों के उत्थान में संगठित क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ाना ,साथ ही साथ महिलाओं, पिछड़ी जातियों, जनजातियों तथा ग्रामीण युवाओं की भागीदारी को बढ़ाना,
- खेलों का आधार व्यापक करना तथा उपलब्धियों में श्रेष्ठता लाना,
- राष्ट्रीय खेल फेडरेशन और दूसरी उच्च संस्थाओं को समुचित सहायता प्रदान करना साथ ही खेल के विकास हेतु शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाना।
चुनौतियां
- फंडिंग की कमी: उत्तर प्रदेश सरकार खेल के आयोजनों पर अन्य देश तथा प्रदेशों की तुलना में बहुत कम खर्च करती है। जिससे एथलीटों को अच्छी गुणवत्ता वाले उपकरण प्रशिक्षण और यात्रा की व्यवस्था निजी खर्च पर करना पड़ता है,जो गरीब खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ी बाधा पैदा करते हैं।
- संसाधन की कमी: पूरे प्रदेश में अच्छी गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे की कमी है।सरकार ने शहरी क्षेत्रों में कुछ अच्छे स्टेडियम विकसित किए हैं ,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बहुत खराब है।
- व्यवहार संबंधी बाधाएं : हमारे प्रदेश में खेल को आकर्षक कैरियर विकल्प नहीं माना जाता है माता पिता अपने बच्चों को खिलाड़ी के बजाय डॉक्टर इंजीनियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं यहां खेलोगे कूदोगे होगे खराब की लोकप्रिय कहावत परिलक्षित होती है
- उच्च प्रदर्शन का दबाव : उच्च प्रदर्शन के दबाव में कभी-कभी खिलाड़ी अत्यधिक मानसिक तनाव से जूझते हैं। जो उन्हें डोपिंग जैसे अनैतिक आचरणओं की तरफ ले जाते हैं । उदाहरण के लिए भारतीय पहलवान नरसिंह यादव, डोपिंग संस्करण के चलते 2016 के रियो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं थे ।
- शासन संबंधी चुनौतियां
- खेलों पर खर्च महिला और ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में पुरुष एथलीटों और शहरी क्षेत्रों के पक्ष में अत्यधिक झुका हुआ है।
- चयन प्रक्रिया में पक्षपात और भाई-भतीजावाद के आरोप लगते हैं, खासकर निचली जातियों के खिलाफ।
- भारत में सफलता-पूर्व समर्थन के बजाय सफलता-पश्चात प्रोत्साहन पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
- धार्मिक बाधाएं : एथलेटिक्स और तैराकी जैसे कुछ खेलों में ऐसी पोशाक होती है, जो महिला के शरीर को पूरी तरह से नहीं ढकती जो कुछ धर्मों के कानूनों के खिलाफ है।
- खेल संस्कृति का अभाव: कुछ खेल (जैसे क्रिकेट) को छोड़ दे तो भारत में ऐसी खेल संस्कृति नहीं है, जिसमें लोग उत्साह पूर्वक खेल देखें और उसका प्रचार करें। जिसके कारण यह आसानी से निवेश को आकर्षित नहीं करता है जबकि क्रिकेट को राजस्व के रूप में मोटी रकम का भुगतान आता है।
निष्कर्ष:
इस खेल नीति के लागू हो जाने से राज्य एवं देश के खिलाड़ी खेल में प्रशिक्षण एवं शिक्षा प्राप्त करेंगे, साथ ही खेलो में रोजगार का अवसर भी बढ़ेगा।