उत्तर प्रदेश के 7 उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया
उत्तर प्रदेश के 7 उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया
- चेन्नई में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (Geographical Indications Registry) ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के सात विशिष्ट उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किए हैं।
- ये उत्पाद क्षेत्र की समृद्ध विरासत और शिल्प कौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जीआई टैग क्या है ?
- जीआई उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक चिन्ह है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और उनमें उस उत्पत्ति के कारण गुण या प्रतिष्ठा होती है।
- नोडल एजेंसी: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य के रूप में भारत ने सितंबर 2003 से वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 लागू किया।
- जीआई को बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स TRIPS) समझौते पर डब्ल्यूटीओ (WTO) समझौते के अनुच्छेद 22 (1) के तहत परिभाषित किया गया है। यह बौद्धिक संपदा अधिकार (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर WTO के समझौते द्वारा शासित और निर्देशित है।
- वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण के साथ उच्च सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- इसके अतिरिक्त बौद्धिक संपदा के अभिन्न घटकों के रूप में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के महत्त्व को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 में स्वीकार किया गया, साथ ही इस पर अधिक बल दिया गया है।
- यह टैग 10 वर्षों के लिए वैध है।
यूपी में जीआई टैग दिए गए 7 विशिष्ट उत्पाद:
(1) अमरोहा ढोलक - एक संगीतमय उत्कृष्ट कृति
- विवरण: अमरोहा ढोलक प्राकृतिक लकड़ी से बना एक संगीत वाद्ययंत्र है, जिसमें आम, कटहल और सागौन की लकड़ी को प्राथमिकता दी जाती है।
- नक्काशी प्रक्रिया: कुशल कारीगर कई आकार के खोखले ब्लॉकों को तराशने के लिए आम और शीशम की लकड़ी का उपयोग करते हैं, जिन्हें बाद में उपकरण बनाने के लिए जानवरों की खाल, मुख्य रूप से बकरी की खाल से फिट किया जाता है।
(2) बागपत होम फर्निशिंग - कालातीत हथकरघा कलात्मकता
- विवरण: बागपत और मेरठ अपने विशेष हथकरघा घरेलू साज-सज्जा और पीढ़ियों से सूती धागे से तैयार किए गए कपड़ों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- पारंपरिक बुनाई: क्षेत्र में कुशल बुनकर हथकरघा बुनाई प्रक्रिया में केवल सूती धागे का उपयोग करते हैं, जिससे उत्पादों की प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
(3) बाराबंकी हथकरघा उत्पाद - बुनाई की विरासत
- विवरण: बाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्रों में लगभग 50,000 बुनकर और 20,000 करघे हैं, जो हथकरघा बुनाई की महत्वपूर्ण उपस्थिति को प्रदर्शित करते हैं।
- बुनाई परंपरा: इस क्षेत्र में हथकरघा बुनाई का एक समृद्ध इतिहास है, जिसमें कुशल कारीगरों ने बाराबंकी के जीवंत कपड़ा उद्योग में योगदान दिया है।
(4) कालपी हस्तनिर्मित कागज - समय-सम्मानित शिल्प कौशल
- विवरण: कालपी अपने हस्तनिर्मित कागज के लिए जाना जाता है, इस शिल्प को 1940 के दशक में गांधीवादी मुन्नालाल 'खद्दरी' द्वारा पेश किया गया था।
- शिल्प कौशल विरासत: कालपी में हस्तनिर्मित कागज बनाने वाला क्लस्टर 5,000 से अधिक कारीगरों और लगभग 200 इकाइयों को संलग्न करता है, जो उत्कृष्ट कागज बनाने की परंपरा को संरक्षित करता है।
(5) महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प - गढ़ी गई भव्यता
- विवरण: महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प क्षेत्र के पत्थर शिल्प का प्रतिनिधित्व करता है, जो अद्वितीय और मुलायम 'पायरो फ्लाइट स्टोन' से बनाया गया है।
- चमकदार सफेद पत्थर: शिल्प में मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाए जाने वाले चमकदार सफेद रंग के पत्थर का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्कृष्ट शिल्प वस्तुओं का निर्माण होता है।
(6) मैनपुरी तारकशी - पीतल के तार जड़ाई में कलात्मकता
- विवरण: मैनपुरी तारकशी के लिए जाना जाता है, जो लकड़ी पर पीतल के तार जड़ने का काम करने वाली एक कला है।
- पारंपरिक उपयोग: तारकशी का उपयोग मुख्य रूप से घरेलू आवश्यकता के रूप में खड़ाऊ (लकड़ी के सैंडल) तैयार करने के लिए किया जाता था, सांस्कृतिक विचारों के कारण चमड़े की जगह।
(7) सम्भल हार्न शिल्प - अद्वितीय हस्तनिर्मित कला
- विवरण: संभल हॉर्न क्राफ्ट मृत जानवरों से प्राप्त कच्चे माल का उपयोग करता है और इसमें सावधानीपूर्वक हस्तकला प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
- कारीगर निर्माण: कुशल कारीगर कच्चे माल को सुंदर हस्तनिर्मित उत्पादों में बदलते हैं, जो संभल के सींग शिल्प की विशिष्टता को प्रदर्शित करते हैं।
Question for practice
1. भौगोलिक संकेत टैग (GI Tag) पाने वाला पहला भारतीय उत्पाद कौन सा था?
- अरनमुला कन्नादी
- दार्जिलिंग चाय
- कतरनी राइस
- मधुबनी पेंटिंग
उत्तर: B
स्पष्टीकरण - दार्जिलिंग चाय पहला भारतीय उत्पाद था जिसे 2004 में भौगोलिक संकेत टैग मिला था। यह पश्चिम बंगाल के नाम से रजिस्टर्ड है।
2. निम्नलिखित में से कौन सही ढंग से मेल नहीं खाता है?
- चक-हाओ (काला चावल): मणिपुर
- बंदर लड्डू: आंध्र प्रदेश
- अरनमुला कन्नादी: आंध्र प्रदेश
- बर्धमान सीताभोग: पश्चिम बंगाल
उत्तर: - C
स्पष्टीकरण - भारत में दूसरा जीआई टैग अरनमुला कन्नादी (हस्तशिल्प) को दिया गया था जो कि एक दर्पण होता है और केरल में बनाया गया है।
3. भौगोलिक संकेत (GI) टैग किस एक्ट के अनुसार दिया जाता है?
- भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 एक्ट
- नया डिजाइन अधिनियम, 2000
- पेटेंट एक्ट, 1970
- भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999
उत्तर: - D
स्पष्टीकरण - भौगोलिक संकेत (GI) टैग भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अनुसार दिया जाता है। यह भारत में भौगोलिक संकेतों के संरक्षण के लिए भारत की संसद का एक एक्ट है. यह 2003 से लागू हुआ था।
4. निम्नलिखित में से किसको/किनको 'भौगोलिक सूचना (जिओग्राफिकल इंडिकेशन)' की स्थिति प्रदान की
गई है? (UPSC 2015)
- बनारस के जरी वस्त्र एवं साड़ी
- राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा तिरुपति लड्डू
- नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: (C)
5. भारत में माल के भौगोलिक संकेत (रजिस्ट्रेशन और संरक्षण) अधिनियम,1999 को निम्नलिखित में से किससे संबंधित दायित्वों के अनुपालन के लिये लागू किया गया था? (UPSC 2018)
- आई.एल.ओ.
- आई.एम.एफ.
- यू.एन.सी.टी.ए.डी.
- डब्ल्यू.टी.ओ.
उत्तर: (D)